चिकनगुनिया बुखार भी मच्छरों
के
संक्रमण
से
फैला
हुआ
एक
तरह
का
बुखार
है
–डेंगू
की
तरह
इसका
भी
प्रकोप
बड़ी
तेजी
से
देखनो
को
मिल
रहा
है
डब्ल्यूएचओ
और
सेंटर
फॉर
डिज़िज़
कंट्रोल
एंड
प्रीवेंशन,
यूएसए
के
अनुसार
“व्यक्ति
के
अंदर,
मच्छर
के
काटने
के
करीब
तीन
से
सात
दिन
बाद
इसके
लक्षण
दिखाई
देते
हैं।
चिकनगुनिया
में
अचानक
से
आ
जाने
वाले
बुखार
के
साथ
जोड़ों
में
दर्द
महसूस
होता
है”।
इसके
अलावा
उसे
सिर
दर्द,
मांसपेशियों
में
दर्द,
सूखी
उबकाई
आना,
थकान
महसूस
करना,
त्वचा
पर
लाल
रैशिज़
पड़ना
जैसी
समस्याएं
होने
लगती
हैं।
चिकनगुनिया बुखार के कारण:
चिकनगुनिया वायरस
संक्रमित
मच्छरों
के
काटने
से
होता
है
।
चिकनगुनिया
वायरस
एक
अर्बोविषाणु
है,
जिसे
अल्फाविषाणु
परिवार
का
माना
जाता
है।
इसका
संवाहक
एडीज
एजिप्टी
मच्छर
है
जो
की
डेंगू
बुखार
और
येलो
फीवर
का
भी
संवाहक
होता
है,
इस
तरह
के
मच्छर
बरसाती
पानी
जमा
होने
से
तेजी
से
पनपते
हैं।
चिकनगुनिया बुखार के लक्षण:
साधारणतः चिकनगुनिया
बुखार
के
लक्षण
संक्रमण
होने
के
2 से
7 तक
ही
रहते
हैं
लेकिन साधारणतः
रोगी
की
दशा
और
उम्र
पर
भी
यह
निर्भर
करता
है
।
चिकनगुनिया बुखार
के
लक्षण
एक
से
अधिक
भी
हो
सकते
है
।
सामान्यत:
चिकनगुनिया
बुखार
के
लक्षण
कुछ
ऐसे
होते
हैं
—
- रोगी को अचानक बिना खांसी व जुकाम के तथा ठंड व कपकंपी के साथ अचानक तेज़ बुख़ार चढ़ना
- जोड़ों में तेज दर्द के साथ सूजन होना
- तेज बुखार (104-105 F) जो की 2-7 दिन तक लगातार रहना
- रोगी के सिर के अगले हिस्से , आंख के पिछले भाग में रहना , कमर, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना।
- मिचली,उल्टी आना या महसूस होना
- शरीर पर लाल-गुलाबी चकत्ते होना
- आँखों लाल रहना ,आँखों में दर्द रहना
- हमेशा थका-थका और कमजोरी महसूश करना
- भूख न लगना, खाने की इच्छा में कमी, मुँह का स्वाद ख़राब होना, पेट ख़राब हो जाना,
- नींद न आना या नींद में कमी
चिकनगुनिया से बचाव के तरीके
चिकनगुनिया का
मच्छर
पूरा
दिन
सक्रिय
रहता
है,
ख़ासतौर
से
सुबह
और
दोपहर
में।
इसलिए
इन
जगहों
पर
जाने
से
बचें,
जहां
मच्छर
ज़्यादा
हो।
अपनी
शरीर
पर
मच्छर
को
दूर
भगाने
वाले
उत्पाद
या
रात
को
सोते
समय
नेट
का
इस्तेमाल
करें।
फिर
भी
अगर
आप
चिकनगुनिया
का
शिकार
होते
हैं,
तो
इन
बातों
का
ध्यान
रखें:
पेय पदार्थ
को
ज़्यादा
से
ज़्यादा
अपने
आहार
में
शामिल
करें।
मच्छरों
द्वारा
काटे
जाने
से
बचें,
क्योंकि
मच्छर
आपको
काटने
के
बाद
आपके
शरीर
का
इंफेक्शन
दूसरे
व्यक्ति
के
शरीर
में
संक्रमित
कर
सकता
है।
बुखार
और
जोड़ों
के
दर्द
को
कम
करने
के
लिए
आप
पैरासिटामॉल
ले
सकते
हैं।
घर
पर
आराम
करें
और
अपने
नज़दीकी
डॉक्टर
से
सलाह
लें।
चिकनगुनिया से बचने के प्राकृतिक एवं घरेलू तरीके
बकरी का दूध :-
डेंगू
बुखार
के
साथ
ही
साथ
चिकनगुनिया
बुखार
के
इलाज
के
लिए
भी
बकरी
का
दूध
बहुत
ही
उपयोगी
है
क्योंकि
यह
सीधे
प्रतिरक्षा
प्रणाली
को
प्रभावित
करता
है,
ऊर्जा
देता
है,
शरीर
में
जरूरी
तरल
की
आपूर्ति
करता
है
और
आवश्यक
पोषक
तत्वों
की
कमी
नहीं
होने
देता।
पीपते के पत्ते :-
पपीते
की
पत्तियां
न
सिर्फ
डेंगू
बल्कि
चिकुनगुनिया
में
भी
उतनी
ही
प्रभावी
है।
उपचार
के
लिए
पपीते
की
पत्तियों
से
डंठल
को
अलग
करें
और
केवल
पत्ती
को
पीसकर
उसका
जूस
निकाल
लें।
दो
चम्मच
जूस
दिन
में
तीन
बार
लें
।
यह
बॉडी
से
टॉक्सिन
बाहर
निकालने
तथा
प्लेटलेट्स
की
गिनती
बढ़ाने
में
मदद
करता
है
।
तुलसी के पत्ते और काली मिर्च :-
4 – 5 तुलसी
के
पत्ते,
25 ग्राम
ताजी
गिलोय
का
तना
लेकर
कूट
लें
एवं
2 – 3 काली
मिर्च
पीसकर
1 लीटर
पानी
में
गर्म
कर
ले
।
जब
पानी
की
मात्रा
250 M.L. तक रह जाए
, तो
उतार
ले
और
यह
काढ़ा
रोगी
को
थोड़े
समय
के
अंतराल
पे
देते
रहे,यह
ड्रिंक
आपकी
प्रतिरक्षा
प्रणाली
को
मजबूत
बनाती
है
और
एंटी-बैक्टीरियल
तत्व
के
रूप
में
कार्य
करती
है।
तुलसी अजवायन और नीम के पत्तियां :-
अजवायन,
किशमिश,
तुलसी
और
नीम
की
सूखी
पत्तियां
लेकर
एक
गिलास
पानी
में
उबाल
लें।
इस
पेय
को
बिना
छानें
दिन
में
तीन
बार
पीना
चाहिए।
तुलसी
का
काढ़ा
और
उसकी
पत्तियों
को
उबालकर
पीने
से
राहत
मिलती
है।
मेथी के पत्ते :-
इसकी
पत्तियों
को
पानी
में
भिगोकर,
छानकर
पानी
को
पीया
जा
सकता
है।
इसके
अलावा,
मेथी
पाउडर
को
भी
पानी
में
मिलाकर
पी
सकते
हैं।
यह
पत्तियां
बुखार
कम
करने
में
सहायता
करती
है
।
एप्सम साल्ट
:- एप्सम
साल्ट
की
कुछ
मात्रा
गरम
पानी
में
डालकर
उस
पानी
से
स्नान
करे
।
इस
पानी
में
नीम
की
पत्तियां
भी
मिलाएं।
ऐसा
करने
से
भी
दर्द
से
राहत
मिलेगी
और
तापमान
नियंत्रित
होगा।
गिलोय :-
गिलोय
के
तनों
को
तुलसी
के
पत्ते
के
साथ
उबालकर
डेंगू
पीड़ित
व्यक्ति
को
देना
चाहिए
।
यह
मेटाबॉलिक
रेट
बढ़ाने,
इम्युनिटी
और
प्रतिरक्षा
प्रणाली
को
मजबूत
रखने
और
बॉडी
को
इंफेक्शन
से
बचाने
में
मदद
करती
है।
हल्दी :-
हल्दी
में
मेटाबालिज्म
बढ़ाने
का
गुण
होता
है,
यह
दर्द
और
घाव
को
जल्दी
ठीक
करने
में
भी
उपयोगी
होता
है
।
हल्दी
का
सेवन
दूध
में
मिलाकर
किया
जा
सकता
है।
लहसुन और सजवायन की फली :-किसी
भी
तेल
में
लहसुन
और
सजवायन
की
फली
मिलाकर
तेल
गरम
करें
और
इस
तेल
से
रोगी
की
मालिश
करें।
इसके
सेवन
से
दर्द
में
काफी
आराम
मिलता
है
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