आजकल की
भागदौड़ भरी
जिंदगी
में प्रत्येक
व्यक्ति बहुत
व्यस्त होता
जा रहा
है। अधिक
काम होने
की वजह
से वह
अधिक सोचने
लगा है।
और यही
अधिक सोचना
उसके लिए
घातक बनता
जा रहा
है।
किसी ने
सही कहा
है कि
चिंता
और चिता में कोई
अंतर नहीं
होता। और
अगर कोई
अंतर है
भी, तो
केवल एक
बिंदु (.) का
अंतर होता
है।
अत्यधिक सोचने से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं?
- अत्यधिक सोच से हमारे मन में नकारात्मकता आने लगती है और हम नकारात्मक सोच के शिकार हो जाते हैं।
- अत्यधिक सोचने से अनेक तरह के रोग लग जाते है। जैसे की भूख कम लगना, सिर में हर समय दर्द रहना, चिड़चिड़ाहट हो जाना आदि बहुत सी समस्याएं हमारे शरीर में उत्पन्न हो जाती हैं।
- अत्यधिक सोचने से हमें भूलने की बीमारी हो जाती है। हम छोटी-छोटी बातों को भी भूलने लगते हैं जिससे हमारी दिनचर्या बहुत गड़बड़ा जाती है।
- अत्यधिक सोचने से व्यक्ति न तो समाज से अच्छे रिलेशन रख पाता है और न ही घर के लोगों से अच्छे संबंध बना पाता है।
अत्यधिक सोचने
से कैसे
बचा जा
सकता है?
वर्तमान में
रहने की
आदत डालें
- अत्यधिक सोचने वाला
व्यक्ति कभी
अपने अतीत बारे में
सोचता रहता
है तो
कभी अपने
भविष्य
बारे में
सोचता रहता
है। इससे
बचने के
लिए वर्तमान
में रहने
की आदत
डालें। अपने
आसपास की
घटनाओं पर
ध्यान दें
और जो
कार्य आप
कर रहें
हैं उस
पर अपना
ध्यान केंद्रित
करें।
अपना मनपसंद
काम करें- जब भी आपको फ्री टाइम मिले
तो उस समय आप अपने पसंद के कार्य करो। और आप
हर वह हर काम अच्छा कर सकते हैं जो आपको पसंद
हों।
संगीत सुने
और मेडिटेशन
करें- अत्यधिक सोचने से बचने के लिए आप अपना मनपसंद सगीत सुन सकते हैं। अच्छा संगीत मन को टेंशन फ्री रखता
है। आप मैडिटेशन का प्रयोग भी कर सकते हैं।
इससे आप अपने मन को अच्छा लगेगा !
खुद से
बातें न
करें- अत्यधिक सोचने वाले लोगों
के साथ
अकसर यह
समस्या होती
है कि
वे जहां
भी तन्हा
होते हैं,
खुद से
बातें करने
लगे हैं।
इसे एकालाप
कहा जाता
है। एकालाप
करते हुए
वे इस
तरह किसी
बात की
गहराई तक
पहुंच सकते
हैं कि
वे भूल
जाते हैं
कि वे
अपने आपसे
बातें कर
रहे हैं।
ओवर थिंकर
लोगों को
चाहिए कि
वे खुद
से बातें
न करें।
जरूरत हो
तो अपने
दोस्तों से
बातें करें।
जितना जरूरी
हो, उतनी
ही बातें
करें। फालतू
बातें करने
से बचें।
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