जन्म के वक़्त बच्चों के वजन पर निर्भर करता है उनके लिवर का स्वास्थ्य। हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह चौकाने वाला तथ्य सामने आया है। यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया के सैनडियागो स्कूल ऑफ़ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने अमेरिका के अलग -अलग जगहों के क्लिनिक्स के साथ मिलकर इस अध्ययन को किया ,जिसमे सामने आया कि जन्म के समय शिशु का वजन कम या ज्यादा होने से नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या होने की संभावना रहती है।
सैनडियागो स्कूल ऑफ़ मेडिसिन की प्रोफेसर और एमडी जेफ्री शिमर बताती हैं कि जन्म के वक़्त शिशु का कम या ज्यादा वजन दोनों ही सूरत में भविष्य में उनके लिवर पर असर डालता है। जिन बच्चों का वजन जन्म के वक़्त कम होता है , उनमे लिवर के ऊतकों के नुकसान होने का खतरा बना रहता है। वहीँ जन्म के वक़्त बच्चे का अधिक वजन होने पर उनमे लिवर की बीमारियों के कारण हेपेटाइटिस का ख़तरा हो सकता है।
इस शोध को 21 वर्ष से कम उम्र के 530 बच्चों पर किया गया। जिन्होंने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डायबिटीज एंड किडनी डिजीज क्लिनिक रिसर्च नेटवर्क के लिए पंजीकरण कराया था। जिन बच्चों में लिवर की बीमारियाँ पायी गयी ,उनका वजन जर्नल यूएस पॉपुलेशन के डाटा से निकाला और तुलना की गयी। अमेरिकन फाउंडेशन के अनुसार ,बढ़े हुए वजन के कारण होने वाली बीमारियों से अमेरिका में 30 मिलियन लोग ग्रसित हैं ,जिनमे १०% बच्चे हैं ,जिनकी उम्र 12 वर्ष से कम है।
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