हालाँकि पपीता खाने के कई फायदे हैं , लेकिन पपीता के कुछ दुष्प्रभाव और उनके उपयोग से संबंधित कुछ चेतावनियां भी हैं , जिनका ज्ञान आपको होना चाहिए। यह विशेष रूप से हरे पपीता फल, पपीता बीज, पपीता पत्ती और पपीन एंजाइम के योग से संबिधत है।
तो आइये हम भी पपीते के कुछ साइड-इफे्क्ट्स के ऊपर नज़र डालें , ताकि ना केवल हम पपीते के उन दुष्प्रभावों से बच सके अपितु पपीते के स्वास्थ्य लाभ का आनंद भी सही प्रकार से ले सकें :-
1. लेटेक्स की उपस्थिति के कारण, पपीता गर्भाशय के संकुचन का कारण बन सकता है, जिससे गर्भपात , समय से पहले प्रसव दर्द , शिशु में असामानताएं और यहां तक कि बच्चा मरा हुआ भी पैदा हो सकता है। अतः गर्भावस्था के दौरान सख्ती से पपीते का सेवन नहीं करना चाहिए ।
2. स्तनपान करा रही माताओं को भी पपीते का सेवन डॉक्टर से परामर्श करनेके बाद ही करना चाहिए ।
3. यदि उच्च मात्रा में पपीते का सेवन किया जाये तो पपीता में बीटा कैरोटीन की उपस्थिति त्वचा की मलिनीकरण (discoloration) का कारण हो सकती है, जिसे चिकित्स्कीय रूप से कैरोटीनिमया कहा जाता है। यह एक ऐसी स्तिथि है, जिसमें आपकी आंखो, तलवों और हथेलियों का रंग पीला हो जाता है, जैसे कि आप पीलिया से ग्रस्त हो।
4. पपेन, पपीता ममौजूद एंजाइम, एक शक्तिशाली ऐलर्जीन है। अतः पपीता के अधिक सेवन से नाक मे कंजेशन, घरघराहट, हे फीवर, दमा आदि जैसे विभिन्न विकार आपके शरीर को अपना शिकार बना सकते हैं ।
5. पपीता का अधिक सेवन गुर्दे के पत्थऱ के गठन को प्रोत्साहित कर सकता है।
6. बहुत अधिक पपीता खाने से गैस्ट्रो इंटेस्टाईनल सिस्टम में समस्या उत्पन्न हो सकती है, जिससे कि आपको ब्लोटिंग , पेट-दर्द , उबकन आदि परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
7. जो लोग रक्त पतला करने वाली दवाइयों का सेवन करते हैं , उन्हें भी पपीते का सेवन नहीं करना चाहिए।
8. पपीते का सेवन एक साल से कम उम्र वाले शिशुओं के लिए उपयुक्त नहीं है।
9. दर्द से पीड़ित होने पर पपीते का उपभोग नहीं करना चाहिए।
10. वैसे तो पपीता कब्ज का प्राकृतिक उपचार है, परंतु यदि इसका सेवन अधिकतम मात्रा मे किया जाएं तो इसका प्रभाव विपरीत भी पड़ सकता है।
पपीता प्रकृति का मनुष्य के लिए एक अद्भुत उपहार है। हालांकि , यदि इसका इस्तेमाल सही से नहीं किया जाए तो यह ऊपर लिखित दुष्प्रभावों का मूल कारण बन सकता है।
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