गुर्दे की पथरी, गुर्दे से छनकर निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थो के ठोस आकार ग्रहण कर लेने से होती है। अपशिष्ट पदार्थ के प्रकार के आधार पर, गुर्दे में बनने वाली पथरी का प्रकार, तय होता है। कैल्शियम की पथरी सबसे अधिक होती है और यह रेडियोओपेक (एक्स-रे या सीटी स्कैन द्वारा देखी जा सकने वाली) होती है।
कारण
जब मूत्र में पानी, लवण (नमक अथवा साल्ट), और खनिजों के सामान्य संतुलन में बदलाव हो जाता है, तब ये रोग होता है। सबसे मुख्य कारण पर्याप्त पानी नहीं पीना है। चिकित्सीय स्थिति जैसे कि कैंसर या अन्य किडनी विकार की वजह से भी हो सकता है।
उपचार
गुर्दे की पथरी का उपचार, पथरी के आकार और उसके स्थान के आधार पर होता हैं। गुर्दे में स्थित पथरी दर्दरहित होती है, और यदि वे आकार में बड़ी हों तो उन्हें विखंडित करने के लिए लिथोट्रिप्सी (ईएसडब्लूएल) का प्रयोग किया जाता है। जो पथरी मूत्रवाहिका में पहुँच जाती है, वह अत्यंत दर्द युक्त हो जाती है। इसकी जगह और आकार के निर्धारण के बाद दर्द निवारक दवाएँ दी जाती हैं। 1 सेमी तक के आकार की पथरी एकाएक निकल जाती है, लेकिन यदि इसका आकार 1 सेमी से अधिक हो तो इसे शल्यक्रिया द्वारा निकालना पड़ता है।
योग
भुजंगासन
पेट के बल लेट जाइये तथा पैरों को सीधा व लम्बा फैला दीजिये। हथेलियों को कन्धों के नीचे जमीन पर रखिये तथा सिर को जमीन से छूने दीजिये। विशेष रूप से पीठ की मांसपेशियों को शिथिल कीजिये।
धीरे-धीरे सिर को व कन्धों को जमीन से ऊपर उठाइये तथा सिर को जितना पीछे की ओर ले जा सकें, ले जाइये। हाथों की सहायता के बिना कन्धों को केवल पीठ के सहारे ऊपर उठाने का प्रयत्न करना चाहिये।
धीरे-धीरे पूरी पीठ को ऊपर की ओर तथा पीछे की ओर झुकाते हुए गोलाकार करते जाइये। इस अवस्था में हाथ सीधे होने चाहिए। यह आसन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पीठ पर विशेष तनाव या अनावश्यक खिंचाव न पड़ने पड़े।
यह आसन करते समय जमीन से शरीर को ऊपर उठाते वक्त श्वास अंदर लीजिये। अंतिम स्थिति में श्वास अन्दर रोक कर रखें। पूर्व स्थिति में लौटते समय धीरे-धीरे श्वास बाहर छोड़ दीजिये। अंतिम स्थिति में 1 मिनट रुकने की कोशिश कीजिए। इस आसन को पांच से छह बार दुहराइये।
उष्ट्रासन
इस आसन को करते समय सबसे पहले आप किसी समतल सतह पर आराम से बैठ जाए। अपने दोनों घुटनों को अन्दर की ओर मोड़ लीजिये। अपने पैरों से घुटने तक के हिस्से के सहारे खड़े हो जाइए। यानी आपको घुटनों के बल बैठने की मुद्रा में रहना हैं। इसके बाद दोनों हाथों को ऊपर उठा ले। घीरे-धीरे पीछे की और ले जाए।और दोनों हाथों से अपने पैरों के तलवो को पकड़ने का प्रयास करें। इस क्रिया को करते समय धीरे-धीरे सांस लेते रहें। कुछ देर इसी अवस्था में रुके रहें। फिर सामान्य स्थिति में आ जाए। इस क्रिया को दो से तीन बार अपनी क्षमता के अनुसार कीजिये।
इन उपायों को अपनाकर गुर्दे की पथरी को काफी हद तक रोका जा सकता है
गुर्दे की पथरी से बचने का एक अच्छा तरीका है कि तरल पदार्थों का अधिक सेवन किया जाए। कम पानी पीने से पथरी हो सकती है।
आहार में सोडियम कम करें। यूरीन में लवण बढ़ने से कैल्शियम की यूरीन से ब्लड में पुन: अवशोषण की प्रक्रिया धीमी होती जाती है और गुर्दे की पथरी हो सकती है।
ऑक्सलेट वाले खाद्य पदार्थों को सीमित करें। आमतौर पर चॉकलेट, बीट्स, नट्स, पालक, स्ट्रॉबेरी, चाय और गेहूं की चोकर में ऑक्सलेट अधिक पाया जाता है।
पशु प्रोटीन कम खाएं। पशु प्रोटीन में अम्लीय पदार्थ अधिक होते हैं और यूरिक ऐसिड में वृद्धि होती है। हाई यूरिक ऐसिड से पथरी बन सकती है।
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