पीलिया लीवर से सम्बंधित रोग है, इस रोग में रोगी की आँखे पीली पड़ जाती हैं, पेशाब का रंग पीला हो जाता है, अधिक तीव्रता होने पर पेशाब का रंग और भी खराब हो जाता है, पीलिया दिखने में बहुत साधारण सी बीमारी लगती है, मगर इसका सही समय पर इलाज ना हो तो ये बहुत भयंकर परिणाम दे सकती है, रोगी की जान तक जा सकती है। रोगी बेहद कमजोरी महसूस
करता है। इसके अलावा उसे कब्जियत, जी मिचलाना, सिरदर्द, भूख न लगना आदि परेशानिया को
भी झेलना पड़ता है। इसलिए आज हम कुछ ऐसे घरेलू इलाज लेकर आए हैं जिन्हें अपनाकर पीलिया
के रोग से रोगी को जल्दी राहत मिल सकती हैं।
पीलिया में परहेज
पीलिया के रोगियों को मैदा,मिठाइयां, तले हुए पदार्थ, अधिक मिर्च मसाले, उड़द की दाल, खोया,मिठाइयां नहीं खाना चाहिए। पीलिया के रोगियों को ऐसा भोजन करना चाहिए जो कि आसानी से पच जाए जैसे खिचड़ी, दलिया, फल, सब्जियां आदि।
उपचार
1- एक गिलास पानी में एक बड़ा चम्मच पिसा हुआ त्रिफला रात भर के लिए भिगोकर रख दें। सुबह इस पानी को छान कर पी जाएँ। ऐसा 12 दिनों तक करें।
2- इस रोग से पीड़ित रोगियों को नींबू बहुत फायदा पहुंचाता है। रोगी को 20 ml नींबू का रस पानी के साथ दिन में 2 से तीन बार लेना चाहिए।
3- गोभी और गाजर का रस बराबर मात्रा में मिलाकर एक गिलास रस तैयार करें।
इस रस को कुछ दिनों तक रोगी को पिलाएँ।
4- रोगी को दिन में तीन बार एक एक प्लेट पपीता खिलाना चाहिए।
5- टमाटर पीलिया के रोगी के बहुत लाभदायक होता है। एक गिलास टमाटर के जूस में चुटकी भर काली मिर्च और नमक मिलाएं। यह जूस सुबह के समय लें। पीलिया को ठीक करने का यह एक अच्छा घरेलू उपचार है।
6- नीम के पत्तों को धोकर इनका रस निकाले। रोगी को दिन में दो बार एक बड़ा चम्मच पिलाएँ। इससे पीलिया में बहुत सुधार आएगा।
7- पीलिया के रोगी को लहसुन की पांच कलियाँ एक गिलास दूध में उबालकर दूध पीना चाहिए , लहसुन की कलियाँ भी खा लें। इससे बहुत लाभ मिलेगा।
रोग की रोकथाम एवं बचाव
*खाना बनाने, परोसने, खाने से पहले व बाद में और शौच जाने के बाद में हाथ साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए।
*भोजन जालीदार अलमारी या ढक्कन से ढक कर रखना चाहिये, ताकि मक्खियों व धूल से बचाया जा सकें।
*ताजा व शुद्व गर्म भोजन करें दूध व पानी उबाल कर काम में लें।
*पीने के लिये पानी नल, हैण्डपम्प या आदर्श कुओं को ही काम में लें तथा मल, मूत्र, कूडा करकट सही स्थान पर गढ्ढा खोदकर दबाना या जला देना चाहिये।
*गंदे, सडे, गले व कटे हुये फल नहीं खायें धूल पडी या मक्खियॉं बैठी मिठाईयॉं का सेवन नहीं करें।
*स्वच्छ शौचालय का प्रयोग करें यदि शौचालय में शौच नहीं जाकर बाहर ही जाना पडे तो आवासीय बस्ती से दूर ही जायें तथा शौच के बाद मिट्टी डाल दें।
*रोगी बच्चों को डॉक्टर जब तक यह न बता दें कि ये रोग मुक्त हो चुके है स्कूल या बाहरी नहीं जाने दे।
*अनजान व्यक्ति से यौन सम्पर्क से भी बी प्रकार का पीलिया हो सकता है।
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