हकलाना
मतलब
अटक
अटक
कर
बोलना। कुछ
बच्चों
में
ये
आदत
शुरू
से
ही
होती
है
तो
कुछ
बच्चे
दूसरे
नकल
करते
करते
हकलाने
लगते
हैं
लेकिन
क्या
है
इसका
वास्तविक
कारण
? क्या
है
इसकी
वजह
? कहीं
शारीरिक
कमी
तो
नहीं
?
आईये
जानते
है
इन
सवालों
के
जवाब
-
हकलाहट क्या है?
हकलाहट
एक
सामान्य
बोलने
में
आने
वाली
समस्या
है
जो
अधिकांशतः
उन
बच्चों
में
दिखती
है
जो
बोलना
सीख
रहे
होते
हैं।
इसे
अटक-अटक
कर
बोलना
भी
कहते हैं
और
इसे
लगातार
बोलने
में
आने
वाली
परेशानी
के
रूप
में
चिन्हित
किया
जाता
है। यह
बोलने
के
विकास
प्रक्रिया
का
एक
भाग
है।
अटक
कर
बोलना
बहुत
मामूली
सा
हो
सकता
है
जिसे
कई
बार
अनदेखा
किया
जाता
है।
हकलाहट
की
गंभीरता
किसी
के
जीवन
में
कई
प्रकार
के
प्रभाव
डाल
सकती
है।
कारण
अमरीकी
शोधकर्तआओं
ने
कहा
है
कि
हकलाने
का
कारण
हो
सकता
है
मानसिक
न
हो
कर
शारीरिक
हो
इस
खोज
से
आगे
हो
सकता
है
कि
हकलाने
की
दवा
निकाली
जा
सके।
कैलिफोर्निया
विश्वविद्यालय
के
प्रोफ़ेसर
जेराल्ड
मैग्वायर
का
मानना
है
कि
हकलाना,
मिर्गी
या
स्कित्ज़ोफ़्रेनिया
जैसी
ही
एक
समस्या
है
जो
मस्तिष्क
मे
एक
रासायनिक
असंतुलन
के
कारण
होता
है।
शोधकर्ताओं
का
कहना
है
कि
उन्होंने
मस्तिष्क
की
जांच
के
बाद
पाया
कि
हकलाने
का
सम्बन्ध
मस्तिष्क
के
अन्दर
के
एक
गहरे
भाग
से
हो
सकता
है
जो
हमारी
बोलने
की
क्षमता
को
नियंत्रित
करता
है।
उनका
ये
भी
मानना
है
कि
हकलाने
वाले
व्यक्ति
के
मस्तिष्क
के
उस
हिस्से
में
मस्तिष्क
का
एक
रासायनिक
तत्व
डोपामाइन
की
मात्रा
बहुत
अधिक
हो
सकती
है।
कई
कारक
जो
हकलाहट
को
बढ़ाते
हैं
या
हकलाहट
में
योगदान
देते
हैं
वो
हैं:
स्पीच
मोटर
मैकेनिज्म: जब
मस्तिष्क
का
स्पीच
मोटर
मैकेनिज्म
सही
तरीके
कार्य
नहीं
करता
है।
अनुवांशिकता:
यह
माना
जाता
है
कि
यह
वंश
परंपरा
से
आता
है।
मनोवैज्ञानिक
पहलू:
तनाव, भावनात्मक
आघात,
बच्चों
से
माता-पित
की
अत्याधिक
उम्मीद
ऐसे
कुछ
कारक
है
जो
बच्चों
में
हकलाहट
को
जन्म
देते
हैं।
असुरक्षा
और
हीनता
बोध
भी
किसी
बच्चे
की
बोली
के
विकास
को
प्रभावित
करते
हैं।
अन्य
बोल-चाल
संबंधी
समस्याएं:
अन्य
बोल-चाल
और
सुनने
संबंधी
दोषों
के
साथ
बच्चों
में
हकलाहट
हो
जाती
है।
आघात
और
अन्य
सर
संबंधी
चोटें
कुछ
व्यक्तियों
के
भीतर
हकलाहट
का
कारण
उत्पन्न
करती
हैं।
शारीरिक सदमा:
मस्तिष्क
को
सदमा।
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