अश्वगन्धा (Withania somnifera) एक पौधा
(क्षुप)
है
जिससे
आयुर्वेदिक
औषधि
बनती
है।
यह एक
द्विबीज
पत्रीय
पौधा
है।
जो
कि
सोलेनेसी
कुल
का
पौधा
है।
सोलेनेसी
परिवार
की
पूरे
विश्व
में
लगभग
3000 जातियाँ
पाई
जाती
हैं।
और
90 वंश
पाये
जाते
हैं।
इसमें
से
केवल
2 जातियाँ
ही
भारत
में
पाई
जाती
हैं।
भारत
में
इसकी
खेती
1500 मीटर
की
ऊँचाई
तक
के
सभी
क्षेत्रों
में
की
जा
रही
है।
भारत
के
पश्चिमोत्तर
भाग
राजस्थान,
महाराष्ट्र,
मध्य
प्रदेश,
पंजाब,
गुजरात,
उ0प्र0
एंव
हिमाचल
प्रदेश
आदि
प्रदेशों
में
अश्वगंधा
की
खेती
की
जा
रही
है।
राजस्थान
और
मध्य
प्रदेश
में
अश्वगंधा
की
खेती
बड़े
स्तर
पर
की
जा
रही
है।
इन्हीं
क्षेत्रों
से
पूरे
देश
में
अश्वगंधा
की
माँग
को
पूरा
किया
जा
रहा
है।
अश्वगंधा
का
मतलब
है
‘घोड़े
की
गंध’।
इसका
यह
नाम
इसलिए
पड़ा
क्योंकि
इसकी
जड़ों
में
ऐसी
गंध
होती
है
जैसे
घोड़े
के
पसीने
की
गंध।
अश्वगंधा
एक
कठोर,
निम्न
(10 डिग्री
सेल्सियस
) और
उच्च (४०
डिग्री
सेल्सियस
) तापमान
बर्दाश्त करने
वाला
पौधा
है।
अश्वगंधा
”इंडियन
जिनसेन”
या
” जहरीला
करौंदा/प्वॉइजन
गुजबेरी”
या
”विंटर
चेरी”
और
भारत
के
उत्तर-पश्चिमी
और
मध्य
हिस्से
में
उपजने
वाले
देसी
दवाई
के
पौधे
के
तौर
पर
भी
जाना
जाता
है।
फायदे
जड़ी-बूटियों
या
पंसारी
की
दुकान
में
आसानी
से
मिलने
वाली
अश्वगंधा
बड़े
काम
की
चीज
है।
वैसे
यह
तो
यह
एक
जंगली
पौधा
है,
मगर
इसके
औषधीय
गुण
काफी
सारे
हैं।
आयुर्वेद
और
यूनानी
मेडीसीन
में
अश्वगंधा
को
विशेष
स्थान
प्राप्त
है।
आमतौर
पर
अश्वगंधा
को
यौन
शक्ति
बढ़ाने
की
सबसे
कारगर
दवा
के
रुप
में
जाना
जाता
है।
मगर
आयुर्वेद
में
इसका
उपयोग
कई
तरह
की
बिमारियों
के
इलाज
में
किया
जाता
है।
अश्वगंधा
के
अंदर
सबसे
ज्यादा
रसायन
इसके
जड़
के
अंदर
पाया
जाता
है.
कई क्षेत्रों
में अश्वगंधा की
खेती
भी
की
जाती
है.
अश्वगंधा
की
जड़
6000 रूपए
प्रति
क्विंटल
व
इसका
बीज
50 रूपए
प्रति
किलो
है.
इसकी
ऊंचाई
170 सेंटीमीटर
होती
है।
यह
लाल
रंग
व
टमाटर
जैसा
होता
है.इसे
वीर्य
व्
पौरुष
सामर्थ्य
की
वृद्धि
करने,
शरीर
पर
मांस
चढाने,
स्तनों
में
दूध
की
वृद्धि
करने,
बच्चों
को
मोटा
व्
चुस्त
बनाने
तथा
गर्भधारण
के
निमित
व्यापक
रूप
से
प्रयोग
किया
जाता
है।
अश्वगंधा
के
नियमित
सेवन
से
विभिन्न
स्वास्थ्य
लाभ
होते
हैं,
आइये
विस्तार
से
जानते
हैं
इनके
बारे
में-
हृदय स्वास्थ्य
में
ह्रदय
के
लिए
अश्वगंधा
बहुत
लाभकारी
है।
यह
ह्रदय
की
मांसपेशियों
को
मजबूत
और
कोलेस्ट्रॉल
को
नियंत्रित
रखता
है।
साथ
ही
अश्वगंधा
के
चूरन
को
दूध
में
मिला
कर
पीने
से
उच्च
रक्तचाप
में
कमी
आती
है।
पुरुषों के लिए
आज
के
समय
में
खान
पान
सही
ना
होने
के
कारण
कई
सारे
पुरुषों
के
वीर्य
में शुक्राणुओं की
बहुत
ज्यादा
कमी
हो
जाती
हैं
| शुक्राणुओं की
कमी
होने
का
सीधा
सम्बन्ध
पिता
ना
बन
पाने
से
होता
हैं
जिसके
कारण
कई
सारी
समस्याए
होती
हैं
| जिन
पुरुषो
को
वीर्य
में
स्पर्म
काउंट
बढ़ाना
होता
हैं
उन्हें
इसका
सेवन
जरूर
करना
चाहिए। रोजाना
सुबह
शाम
अश्वगंधा
के
सेवन
से
पुरुषो
में
वीर्य्वर्धन
होता
हैं
| स्पर्म
काउंट
का
कम
होना
एक
आम
समस्या
नहीं
हैं
क्योकि
कुछ
लोग
इसको
सिर्फ
ये
सोच
लेते
की
यह
प्रजनन
से
सम्बंधित
हैं
लेकिन
हम
आपको
बताना
चाहेगे
की
बहुत
अधिक
स्पर्म
काउंट
कम
हो
जाने
से
कई
बार
जान
जाने
की
समस्या
होती
हैं
| इसीलिए
इसे
हलके
में
ना
ले
| अश्वगंधा
को
आप
दूध
के
साथ
ले
सकते
हैं
| रोजाना
एक
गिलास
हलके
गर्म
दूध
में
दो
चम्मच
अश्वगंधा
चूर्ण
मिलाएं
और
सेवन
करे
जिससे
फायदा
होगा
अश्वगंधा
शरीर
को
जोश
देता
है
| जिससे
शरीर
में
आलस्य
नहीं
रहता
है
और
सहवास
के
समय
थकान
भी
महसूस
नहीं
होती।
दमा और खांसी के लिए
दमा
की
बीमारी
को
दूर
करने
में
अश्वगंधा
एक
कारगर
दवा
का
काम
करती
है.
अश्वगंधा
का
चूर्ण
गुनगुने
दूध
में
मिलाकर
रोगी
को
पिलाने
से
दमा
और
खांसी
की
समस्या
से
छुटकारा
मिल
जाता
है।
स्त्री रोगों में
जिन
महिलाओं
को
योनि
से
हमेशा
सफेद
चिपचिपा
पदार्थ
निकलता
रहता
है
अगर
वह
अश्वगंधा
का
सेवन
करें,
तो उन्हें बहुत
आराम
मिलेगा। श्वेत प्रदर
में
इसका
चूर्ण
2 ग्राम
के
साथ,
1/2 ग्राम
वंशलोचन
मिलाकर
सेवन
करें।
अल्प
विकसित
स्तनों
के
विकास
के
लिए
शतावरी
चूर्ण
के
साथ
सेवन
करना
चाहिए।महिलाओं
में इसके
सेवन
से
प्रजनन क्षमता
बढ़
जाती
है।
बालों को काला करने के लिए
अश्वगंधा
बालों
में
मेलानिन
की
हानि
को
रोककर
समय
से
पहले
बालों
को
ग्रे
होने
से
रोकता
है।
बालों
को
काला
करने
के
लिए
दो
-दो ग्राम
अश्वगंधा
चूर्ण
सुबह
-शाम
पानी
के
साथ
मिश्री
मिलाकर
ले।
कैंसर के लिए
अश्वगंधा
में
शरीर
के
डेड
सेल
को
खत्म
करने
की
पूर्ण
क्षमता
है।
कैंसर
रोगियों
के
लिए
वरदान
साबित
होने
वाली
इस
अश्वगंधा
आयुर्वेद
औषधि
को
महत्वूर्ण
साबित
करने
की
खोज
आईआईटी
दिल्ली
के
शोधकर्ताओं
ने
की
है।
इसकी
जानकारी
के
लिए
रिसर्च
टीम
ने
20 अप्रैल
2017 को
एक
रिपोर्ट
जारी
कर
इसकी
जानकारी
दी।
जिसको
‘सेल
डेथ
एंड
डिजीज’
का
नाम
दिया
गया
है।अश्वगंधा
की
जड़
में
कुछ
ऐसे
तत्व
भी
हैं
जिसमें
कैंसर
के
ट्यूमर
की
वृद्धि
को
रोकने
की
पर्याप्त
क्षमता
होती
है।
इसकी
जड़
में
अल्कोहल
के
गुण
होते
हैं
जो
शरीर
पर
कोई
टॉक्सिन
नहीं
छोड़ता
है
और
इसमें
ट्यूमर
के
ग्रोथ
को
रोकने
की
क्षमता
होती
है।
अश्वगंधा
कैंसर
से
छुटकारा
दिलाने
में
बहुत
सहायक
होता
है।
आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए
यदि
अश्वगंधा,
मुलहठी
और
आंवला
तीनों
को
समान
मात्रा
लेकर
चूर्ण
बनाकर
एक
चम्मच
नियमित
रूप
से
सेवन
किया
जाये
तो
आंखों
की
रोशनी
बढ़ती
है।
अश्वगंधा
की
जड़ों
का
पाउडर
को
शहद
और
घी
में
मिला
कर
पीने
से
अनिद्रा
की
समस्या
दूर
होती
है
जिससे
आँखों
के
नीचे
काले
घेरे
और
सूजन
नहीं
होती
व आँखों
की
मांसपेशियों
में
तनाव
भी
कम
हो
जाता
है।
प्रतिरक्षा प्रणाली में
अश्वगंधा
के
नियमित
सेवन
से
शरीर
का
लाल
रक्त
कणिकाओं
में
वृद्धि
होती
है
जो
शरीर की
रोग
प्रतिरोधक
क्षमता
को
बढाती
है
साथ
ही
एनीमिया
जैसे
रोगो
से
भी
बचाव
होता
है।
थायराइड में
अश्वगंधा
की
जड़ों
के
एक्सट्रेक्ट
के
दैनिक
सेवन
से
थायराइड
हार्मोन
के
स्राव
में
वृद्धि
होती
है
और
असामान्य
रुप
से
निष्क्रिय
थायरॉयड
को
जगाता
है।
डायबिटीज के लिए
अश्वगंधा
का
उपयोग
डायबिटीज
को
दूर
करने
के
लिए
भी
किया
जाता
है।अश्वगंधा
के
सेवन
से
ब्लड
शुगर
का
स्तर
कम
किया
जा
सकता
है
जिससे
ये
मधुमेह
की
बीमारी
को
नियंत्रण
में
रखता
है।
नुकसान
अश्वगंधा
एक
बहुत फायदेमंद औषधी
है
और
ये
आयुर्वेदिक
औषधी
होने
के
कारण
ये
सबसे
ज्यादा
उपयोगी
है और
इसे
डॉक्टर्स
भी मानते हैं कि यह बहुत
ही
फायदेमंद
है। अश्वगंधा
कई
बीमारियों
को
ठीक
करने
में
भी
आपकी
मदद करता है लेकिन
इसका
उपयोग
एक
सीमा
तक
करने
पर
ही
यह
फायदेमंद
है। अगर
उस
सीमा
से
ज्यादा
इसका
इस्तेमाल
किया
जाए
तो
यह
आपके
लिए
बहुत
ही
नुकसानदायक
भी
हो
सकती
है।
इसके
अधिक
सेवन
से
नींद
आने
लगती
है। मतलब
की
आप
बहुत
ही
ज्यादा
आलसी
हो
जाते
है
और
आपका
मन
केवल
और
केवल
आराम
करने
के
लिए
प्रेरित
करता
है।
गर्भ
वाली
महिलाओं
को
अश्वगंधा
न
लेने
की
सलाह
दी
जाती
है
क्यूंकि
इसमें
गर्भ
गिराने
वाले
गुण
होते
हैं।
दूसरी
दवाओं
के
साथ
इसका
सेवन
नहीं
करना
चाहिए,
क्यूंकि
दूसरी
दवाओं
के
साथ
मिलकर
ये
हस्तक्षेप
कर
सकता
है
| विशेष
कर
उन
लोगों
के
साथ
जो
मधुमेह,
उच्च
रक्तचाप,
चिंता,
अवसाद
और
अनिंद्र
जैसी
बिमारियों
से
पीड़ित
है।
इसके
सेवन
से
थॉयराइड
हार्मोन
का
स्राव
तेजी
से
होने
लगता
है।
जिसे
थॉयराइड
की
बीमारी
हो
उसे
इसके
सेवन
से
परहेज
करनी
चाहिए।
जो
लोग
अश्वगंधा
की
पत्तियों
का
सेवन
करते
हैं
उनमें
पेट
संबंधी
समस्याएं
बनी
रहने
की
आशंका
होती
है।
असल
में
जब
हम
इसकी
पत्तियों
का
सेवन
करते
हैं
तो
पैर
में
गैस
बनने
लगती
है
और
जब
हम
इसका
अधिक
मात्रा
में
सेवन
करते
हैं
तो
उल्टियां
और
दस्त
का
सामना
भी
करना
पड़
सकता
है।
यहीं
नहीं
जिन
लोगों
को
अल्सर
की
समस्या
होती
है
उन्हें
खाली
पेट
या
केवल
अश्वगंधा
का
सेवन
बहुत
ही
नुकसान
पहुंचा
सकता
है।
अश्वगंधा
का
उपयोग
करते
समय
डॉक्टर
सावधानी
रखने
की
सलाह
देते
हैं
क्योंकि
जिन
लोगो
को
हाई
बीपी
या
मधुमेह
जैसी
बीमारी
हो
उन्हें
अन्य
दवाओं
के
साथ
इसका
सेवन
नहीं
करना
चाहिए।
गर्मियों
में
इसका
सेवन
अधिक
मात्रा
में
करने
से
शरीर
के तापमान
में
वृद्धि
हो
जाती
है।
इसके
ज्यादा
इस्तेमाल
से
आपको
कई
सारी
समस्याओं
जैसे
पेट
से,
दिमाग
से
जुडी
और
शरीर
से
जुडी
दिक्कतों
का
सामना
करना
पड़ता
है। इसके
अधिक
सेवन
से
पेट
रोग
होने
लगते
है अस्वगंधा का
अधिक
सेवन
शरीर
को
कमजोर
करता
है
गर्भवती
महिलाओं
को
इसका
अधिक
सेवन
नुकसानदायक
है। दूसरी
मडिसिन
भी
हमारे
शरीर
को
नहीं
लगती
है और
इसलिए
डॉक्टर्स
भी
सलाह
देते
है
की
इसका
इस्तेमाल
एक
निश्चित
समय
तक
ही
करना
चाहिए।
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