शिलाजीत के फायदे, शिलाजीत के आयुर्वेदिक गुण व शिलाजीत के नुकसान
आयुर्वेद
ने
शिलाजीत
की
बहुत
प्रशंसा
की
है। बलपुष्टिकारक,
ओजवर्द्धक,
दौर्बल्यनाशक
एवं
धातु
पौष्टिक
अधिकांश
नुस्खों
में
शिलाजीत
का
प्रयोग
किया
जाता
है।
आइये
पहले
जानते
हैं
क्या
है
शिलाजीत
और
कहाँ
पाया
जाता
है?
शिलाजीत
का
शाब्दिक
अर्थ
है 'पहाड़ों
को
जीतने
वाला' । इंग्लिश
में
इसे बिटुमिन "Bitumen" कहा
जाता
है। शिलाजीत
हिमालय
की
पहाड़ियों
और
चट्टानों
पर
पाया
जाने
वाला
एक
चिपचिपा
और
लसलसा
पदार्थ
है
जो
काले
या
भूरे
रंग
का
होता
है।
शिलाजीत का
उपयोग
करीब
पांच
हजार
सालों
से
हर
तरह
की
बीमारियों
के
इलाज
में
किया
जाता
है।
आयुर्वेद
में
शिलाजीत
के
फायदे
और
गुणों
का
अधिक
महत्व
है।
इसमें
कई
तरह
के
मिनरल
पाये
जाते
हैं
जिस
वजह
से
इसे
कई
असाध्य
रोगों
के
इलाज
में
भी
इस्तेमाल
किया
जाता
है।
यह
अफगानिस्तान,
भूटान,
चीन,
नेपाल,
पाकिस्तान,
सोवियत
संघ,
तिब्बत
के
पहाड़ों
पर
भी
1000 और
5000 मीटर
के
उंचाई
पर
पाया
जाता
है।
प्राचीन
वैदिक
ग्रथों
के
अनुसार
पत्थर
से
शिलाजीत
बनता
है।
गर्मियों
में
सूर्य
की
गर्मी
से
पहाड़ों
की
चट्टानों
के
धातु
पिघलने
लगती
है
वह
शिलाजीत
कहा
जाता
है।
यह
तारकोल
की
तरह
गाढ़ा
और
काला
होता
है।
शिलाजीत के प्रकार
यह
चार
प्रकार
का
होता
है।
स्वर्ण
शिलाजीत,
रजत
शिलाजीत,
लौह
शिलाजीत
और
ताम्र
शिलाजीत
।
रजत
शिलाजीत
का
स्वाद
चरपरा
होता
है।
यह
पित्त
तथा
कफ
के
विकारों
को
दूर
करता
है।
स्वर्ण
शिलाजीत
मधुर
एवं
कसैला
और
कड़वा
होता
है
जो
बात
और
पित्त
जनित
व्याधियों
का
शमन
करता
है।लौह
शिलाजीत
कड़वा
तथा
सौम्य
होता
है।
ताम्र
शिलाजीत
का
स्वाद
तीखा
होता
है।
कफ
जन्य
रोगों
के
इलाज
के
लिए
यह
आदर्श
है
क्योंकि
इसकी
तासीर
गर्म
होती
है।
समग्र
रूप
में
शिलाजीत
कफए
चर्बीए
मधुमेह
एवं
श्वास
मिर्गी
एवं
बवासीर
उन्माद
एवं
सूजन
एवं
कोढ़
एवं
पथरी
एवं
पेट
के
कीड़े
तथा
कई
अन्य
प्रकार
रोगों
को
नष्ट
करने
में
सहायक
होता
है।
शिलाजीत के गुण
शिलाजीत
कड़वा,
कसैला,
उष्ण,
वीर्य
शोषण
तथा
छेदन
करने
वाला
होता
है।
शिलाजीत
देखने
में
तारकोल
के
समान
काला
और
गाढ़ा
पदार्थ
होता
है
जो
सूखने
पर
चमकीला
हो
जाता
है।
यह
जल
में
घुलनशील
है,
किंतु
एल्कोहोल
क्लोरोफॉर्म
तथा
ईथर
में
नहीं
घुलता।
शिलाजीत
स्वाद
में
कसैल,
गर्म
और
ज्यादा
कडवा
होता
है।
इसमें
से
गोमूत्र
की
तरह
की
गंध
आती
है।
शिलाजीत के लाभ
शुद्ध
शिलाजीत
निरंतर
सेवन
करने
से
शरीर
पुष्ट
तथा
स्वास्थ्य
बढ़िया
रहता
है।
आयुर्वेद
में
ऐसे
कई
योग
हैं,
जिनमें
शुद्ध
शिलाजीत
होती
है
जैसे
सूर्यतापी
शुद्ध
शिलाजीत
बलपुष्टिदायक
है,
शिलाजत्वादि
वटी
अम्बरयुक्त
मधुमेह
और
शुक्रमेह
नाशक
है,
शिलाजतु
वटी
आयुवर्द्धक
है।
अल्जाइमर के इलाज में
शिलाजीत
अल्जाइमर
से
बचाने
में
काफी
उपयोगी
है
और
यह
धीरे-धीरे
अल्जाइमर
के
लक्षणों
को
कम
कर
देता
है।
शिलाजीत
में 'फुल्विक
एसिड'
नामक
एंटीऑक्सीडेंट
पाया
जाता
है
जो
न्यूरॉन
में
अधिक
टॉ
प्रोटीन
जमा
होने
से
रोकता
है
इससे
हमारी
यादाश्त
की
क्षमता
बढ़ती
है।
शोधकर्ताओं
का
मानना
है
कि
शिलाजीत
में
मौजूद
फुल्विक
एसिड
असामान्य
रूप
से
टॉ
प्रोटीन
के
निर्माण
को
रोकता
है
और
सूजन
को
कम
करता
है
जिससे
अल्जाइमर
के
लक्षण
कम
होने
लगते
हैं।
यौन शक्ति वर्धक
नपुंसकता
, शीघ्रपतन
और
धातु
दुर्बलता
में
शिलाजीत
रामबाण
औषधि
की
तरह
काम
करती
है
| शिलाजीत
पौरुष
शक्ति
एवं
प्रजनन
प्रणाली
की
शक्ति
को
बढाती
है
इसलिए
यौन
शक्ति
को
बढ़ने
के
लिए
इसका
उपयोग
करना
चाहिए
| अगर
आप
यौन
कमजोरी
, स्वप्नदोष
या
शीघ्रपतन
से
परेशान
है
तो
-
शुद्ध
शिलाजीत
25 ग्राम,
लौह
भष्म
10 ग्राम
,
अम्बर
2 ग्राम
और
केशर
2 ग्राम।
इन
सब
को
मिलाकर
खरल
में
खूब
घुटाई
करे
| अच्छी
तरह
घुटाई
होने
के
बाद
1-1 रति
की
गोलिया
बना
ले
| एक
- एक
गोली
सुबह
- शाम
दूध
के
साथ
सेवन
करे। यह
औषधि
यौन
शक्ति
के
साथ
साथ
स्मरण
शक्ति
, पाचन
शक्ति
एवं
शारीरिक
शक्ति
को
भी
बढाती
है। शरीर
को
तुरंत
उर्जा
देने
की
क्षमता
होती
है
शिलाजीत
में।
इसमें
मौजूद
अधिक
विटामिन
और
प्रोटीन
की
वजह
से
शरीर
में
उर्जा
बढ़
जाती
है।
हार्मोन और इम्यून सिस्टम में
शिलाजीत
का
एक
और
महत्वपूर्ण
कार्य
यह
है
कि
यह
विभिन्न
शरीर
प्रणालियों
को
नियंत्रित
करता
है,
जैसे
कि
आपकी
प्रतिरक्षा
प्रणाली
और
हार्मोन
का
संतुलन।
क्रोनिक
फॉटिग
सिंड्रोम
(सीएफएस)
एक
ऐसी
बीमारी
है
जिसमें
व्यक्ति
को
काफी
लंबे
समय
तक
थकान
और
सुस्ती
का
अनुभव
होता
है जोकि कमजोर इम्यूनिटी का संकेत है। सीएफएस
से
पीड़ित
व्यक्ति
किसी
भी
काम
को
एक्टिव
होकर
नहीं
कर
पाता
है।
शोधकर्ताओं
का
मानना
है
कि
शिलाजीत
की
खुराक
सीएफएस
के
लक्षणों
को
दूर
कर
एनर्जी
स्टोर
करने
में
मदद
करती
है।
सीएफएस
शरीर
में
कोशिकाओं
को
पर्याप्त
ऊर्जा
उत्पन्न
करने
से
रोकता
है
जिससे
की
माइटोकांड्रिया
की
कार्यक्षमता
प्रभावित
होने
लगती
है।
शिलाजीत
माइटोकांड्रिया
के
कार्यक्षमता
को
मजबूत
करने
में
मदद
प्रदान
करता
है
जिससे
शरीर
में
एनर्जी
फिर
से
स्टोर
होने
लगती
है
और
थकान
की
समस्या
दूर
हो
जाती
है।
हड्डियों के रोग में
शिलाजीत
खाने
से
हड्डियों
की
मुख्य
बीमारियां
जैसे
जोड़ों
का
दर्द
और
गठिया
की
समस्या
दूर
होने
के
साथ
हड्डियां
मजबूत
बनती
हैं।
ब्लडप्रेशर में
शिलाजीत
का
सेवन
करने
से
न
केवल
रक्तचाप
सामान्य
रहता
है
अपितु
मानव
हृदय
रोग
से
भी
दूर
रहता
है शिलाजीत
के
प्रयोग
से
रक्त
शुद्ध
होकर
नसों
में
रक्तसंचार
बढ़ता
है
जिससे
पूरे
शरीर
में
कान्ति
उभरती
है
तथा
शरीर
में
ताकत
आती
है।
पित्त व कफ के रोग में
पित्त
व
कफ
के
रोग
जिन्हें
कुछ
लोग
लाइलाज
समझते
हैं,
शिलाजीत
का
सेवन
करने
से
रोगियों
को
इन
रोगों
में
भी
लाभ
पहुँचता
है। रजत
शिलाजीत
पित्त
तथा
कफ
के
विकारों
को
दूर
करता
है।
स्वपनदोष में
स्वप्नदोष
से
ज्यादातर
तो
अविवाहित
युवक
ही
पीड़ित
पाए
जाते
हैं
पर
विवाहित
पुरुष
भी
इससे
अछूते
नहीं
हैं-
शुद्ध
शिलाजीत-
25 ग्राम,
लौहभस्म-
10 ग्राम,
केशर-
2 ग्राम,
अम्बर-
2 ग्राम,
इन
सबको
मिलाकर
खरल
में
खूब
घुटाई
करके
महीन
कर
लें
और
दो
- दो
रत्ती
की
गोलियां
बना
लें।
एक-एक
गोली
सुबह-शाम
दूध
के
साथ
सेवन
करने
से
स्वप्नदोष
होना
तो
बंद
होता
ही
है,
साथही
पाचन
-शक्ति,
स्मरण
शक्ति
और
शारीरिक
शक्ति
में
भी
वृद्धि
होती
है,
इसलिए
यह
प्रयोग
छात्र-छात्राओं
के
लिए
भी
उपयोगी
है।शिलाजीत
में
केसर,
लौहभस्म
और
अम्बर
को
मिलाकर
सेवन
करने
से
स्पनदोष
ठीक
हो
जाता
है।
और
पुरूष
की
इंद्री
यौन
इच्छा
के
लिए
प्रबल
हो
जाती
है।
यह
उपाय
करते
समय अधिक
खटाई
और
मिर्च
मसालों
के
सेवन
से
बचें।
बहुमूत्र में
यदि
किसी
को
बार.बार
पेशाब
आए
रात
को
भी
पेशाब
के
लिए
बार.बार
उठना
पड़े
तथा
एक
साथ
भारी
मात्रा
में
पेशाब
आए
तो
समझ
लें
कि
ये
लक्षण
बहुमूत्रता
के
हैं।जिन
लोगों
को
बहुमूत्र
या
बार-बार
मूत्र
जाने
की
समस्या
हो
उन्हें
शिलाजीत,
बंग
भस्म,
छोटी
इलायची
के
दाने
तथा
वंश
लोचन
का
समान
मात्रा
में
मिलाकर
शहद
के
साथ
सुबह
शाम
सेवन
करना
चाहिए।
इससे
शरीर
में
भी
ताकत
आती
है
और
शरीर
मजबूत
होता
है।
शिलाजीत खाने के नुकसान
शरीर
में
अत्यधिक
गर्मी
उत्तेजना।
पैरों
में
जलन
का
अहसास।
हाथ
और
पैरों
में
अधिक
गर्मी
महसूस
करना।
पेशाब
में
वृद्धि
या
कमी।
अधिक
शिलाजीत
खाने
से
एलर्जी
हो
सकती
है।
गर्भावस्था
में
शिलाजीत
नहीं
खाना
चाहिए।
शिलाजीत
के
अधिक
सेवन
से
बचना
चाहिए।
शिलाजीत
इंसान
के
लिए
प्राकृति
वरदान
से
कम
नहीं
है।
इसलिए
शिलाजीत
के
फायदे
और
नुकसान
दोनों
ही
हैं।
आप
अपनी
सुविधा
के
अनुसार
शिलाजीत
का
सेवन
कर
सकते
हैं।
लेकिन
उससे
पहले
आप
किसी
आयुवेर्दिक
चिकित्सक
से
सलाह
लेना
ना
भूलें।
सेवन में सावधानियाँ
शिलाजीत
एक
पौष्टिक
द्रव्य
है।
परन्तु
राह
चलते
या
पटरी
पर
बैठे
खरीददार
से
शिलाजीत
खरीदने
में
धोखा
हो
सकता
है
इसलिए
उसकी
जांच
करके
ही
खरीदें
जो
शिलाजीत
पानी
में
डालते
ही
तार.तार
होकर
तली
में
बैठ
जाए
वही
असली
शिलाजीत
है।
साथ
ही
सूखने
पर
उसमें
गोमूत्र
जैसा
गंध
आए
एवं
रंग
काला
एवं
वजन
हल्का
तथा
छूने
में
चिकनी
हो
तो
समझ
लें
कि
यही
असली
शिलाजीत
है।
हमेशा
शिलाजीत
का
सेवन
दूध या
पानी
के
साथ
करे
|
शिलाजीत
के
सेवन
के
समय
विदाही
(जलन
करने
वाले
भोजन)
और
भारी
भोजन
नहीं
करना
चाहिए।
कुल्थी
का
सेवन
भी
नहीं
करना
चाहिए।
आयुर्वेद
के
कुछ
व्याख्याकार
ने
तो
यहाँ
तक
कहा
है
जो
लोग
शिलाजीत
का
सेवन
कर
रहे
हो
उन्हें
एक
वर्ष
तक
कुलथी
का
सेवन
नहीं
करना
चाहिए।
शिलाजीत
उन
लोगों
को
नहीं
लेना
चाहिए
जिनका
यूरिक
एसिड
बढ़ा
हुआ
है।
जिनमें
यूरिक
एसिड
की
पथरी
हो,
गठिया
हो
उन्हें
भी
इसका
प्रयोग
नहीं
करना
चाहिए।
अधिक
पित्त
में
भी
इसका
सेवन
सावधानी
से
किया
जाना
चाहिए।
जितने
समय
के
लिए
शिलाजीत
का
सेवन
बताया
गया
हो
उससे
अधिक
दिनों
तक
इसका
सेवन
नहीं
करना
चाहिए|
कभी
कभार
शिलाजीत
सेवन
से
किसी
किसी
को
उलटी
या
बुखार
आ
सकती
जो
एक
स्वाभाविक
क्रिया
है
अपने
चिकित्सक
से
सम्पर्क
करे
|
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