🌱गले में तुलसी की माला धारण करने से जीवनशक्ति बढ़ती है, बहुत से रोगों से मुक्ति मिलती है। तुलसी की माला पर भगवन्नाम-जप करना कल्याणकारी है।
🌱मृत्यु के समय मृतक के मुख में तुलसी के पत्तों का जल डालने से वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के लोक में जाता है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंडः 21.42)
🌱तुलसी के पत्ते सूर्योदय के पश्चात ही तोड़ें। दूध में तुलसी के पत्ते नहीं डालने चाहिए तथा दूध के साथ खाने भी नहीं चाहिए।
🌱 घर की किसी भी दिशा में तुलसी का पौधा लगाना शुभ व आरोग्यरक्षक है।
🌱पूर्णिमा, अमावस्या, द्वादशी और सूर्य-सक्रान्ति के दिन, मध्याह्नकाल, रात्रि, दोनों संध्याओं के समय और अशौच के समय, तेल लगा के, नहाये धोये बिना जो मनुष्य तुलसी का पत्ता तोड़ता है, वह मानो भगवान श्रीहरि का मस्तक छेदन करता है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंडः 21.50.51)
🌱रोज सुबह खाली पेट तुलसी के पाँच-सात पतो का सेवन करे और ऊपर से ताँबे के बर्तन में रात का रखा एक गिलास पानी पियें। इस प्रयोग से बहुत लाभ होता है। यह ध्यान रखें कि तुलसी के पत्तों के कण दाँतों के बीच न रह जायें।
🌱बासी फूल और बासी जल पूजा के लिए वर्जित है परंतु तुलसी दल और गंगाजल बासी होने पर भी वर्जित नहीं है।
(स्कंद पुराण, वै.खंड, मा.मा. 8.9)
🌱फ्रेंच डॉक्टर विक्टर रेसीन ने कहा हैः 'तुलसी एक अद्भुत औषधि है, जो ब्लडप्रेशर व पाचनतंत्र के नियमन, रक्तकणों की वृद्धि एवं मानसिक रोगों में अत्यन्त लाभकारी है। मलेरिया तथा अन्य प्रकार के बुखारों में तुलसी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है।'
🌱तुलसी ब्रह्मचर्य की रक्षा में एवं यादशक्ति बढ़ाने में भी अनुपम सहायता करती है।
🌱तुलसी बीज का लगभग एक ग्राम चूर्ण रात को पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट लेने से वीर्यरक्षण में बहुत-बहुत मदद मिलती है।
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